November 22, 2024

100 की उम्र में भी खटाखट चढ़ते हैं कोर्ट की सीढ़ियां

सासाराम                                                                                                                                             
जीना इसी का नाम है, जिसे पूरी तरह से चरितार्थ किया है व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठतम अधिवक्ता हरि नारायण सिंह ने। जो 100 वर्ष की अवस्था पूरी करने के बाद भी कोर्ट की सीढ़ियों को खटाखट चढ़ते हैं। वे कोर्ट की सीढ़ियों को चढ़ते ही नहीं बल्कि अपनी वाकपटुता व तर्कों से प्रतिद्वंदी अधिवक्ताओं व न्यायाधीशों को भी खामोश करते हैं। 

शहर के व्यवहार न्यायालय परिसर में कलकतिया वकील के नाम से मशहूर अधिवक्ता हरि नारायण सिंह पिछले वर्ष ही 100 वर्ष की आयु को पार कर चुके हैं। वहीं उनकी पत्नी बबुनी देवी भी इस वर्ष 100 वर्ष में प्रवेश कर चुकी हैं उनका जन्म 21 सितंबर 1918 को हुआ था। वहीं उनकी पत्नी का जन्म सात मार्च 1919 को हुआ था। मूल रूप से नोखा प्रखंड के तिलई गांव निवासी हरि नारायण सिंह अब सपरिवार शहर में ही रहते हैं। अपने परिवार में चार पुत्र, एक पुत्री व 16 पोते-पोतियों से भरे-पूरे परिवार में हरि नारायण सिंह ने इस अवस्था में जीवटता को कायम रखते हुए रोजाना कोर्ट में अधिवक्ता-न्यायाधीशों के साथ बहस करते हैं। उनकी सक्रियता व इस उम्र में कोर्ट में आजे देख नौजवान अधिवक्ताओं के साथ मुवक्किल व न्यायाधीश कई बार दांतों तले अंगुली दबाते नजर आते हैं।

पांच रूपए में लड़ा था जीवन का पहला मुकदमा
हरि नारायण सिंह ने कलकता विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर व वकालत की पढ़ाई पूरी की थी। एमए कॉमर्स से करने के बावजूद वकालत के पेशे को चुना। वकालत के पेशे में आने के पूर्व कलकता में शिक्षक के रूप में भी कुछ दिनों तक कार्य किया था। उसके बाद 1952 में वे पहली बार तब के शाहाबाद के अनुमंडलीय कोर्ट सासाराम में वकालत शुरू की। उनके सीनियरों में राम नरेश सिंह, कालका प्रसाद श्रीवास्तव, लक्ष्मणदेव सिंह, राधिका रमण शर्मा, रामाशंकर सिंह आदि विद्वान अधिवक्ता थे। कलकता से जब वे प्रैक्टिस के लिए शहर में आए तो उन दिनों कोट-टाई व बैज के साथ न्यायालय में जाना चर्चा का विषय बनता था। उसी समय से लोग उन्हें कलकतिया वकील के नाम से बुलाने लगे थे। जो अब तक उनकी पहचान के रूप में कायम है। पांच रूपए में उन्होंने अपने जीवन का पहला मुकदमा लड़ा था। लेकिन अब उनकी रोजाना की प्रैक्टिस पांच हजार से कम नहीं होती है। हाजिर जवाब ऐसे कि प्रतिद्वंदी वकील से ले न्यायाधीश भी उनका जवाब देने में सौ बार सोचते हैं।

अपने साथ पूरे परिवार को किया स्थापित
वरीय अधिवक्ता होने के साथ हरि नारायण सिंह ने पूरे परिवार की परवरिश बेहतर तरीके से की। उनके चार पुत्र हैं। चारों पुत्रों के आठ पुत्र व आठ पुत्रियां हैं। पुत्र कृष्ण कुमार सिंह दो बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। अभी भी जदयू में सक्रिय हैं। वहीं तीन पुत्र अपना व्यवसाय संभालते हैं। पोते-पोतियां भी कुछ सरकारी व निजी सेवा में हैं तो कुछ निजी व्यवसाय कर परिवार का नाम रौशन कर रहे हैं। हरि नारायण सिंह व पत्नी दोनों लोगों के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पैतृक गांव तिलई में 13 नवंबर को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। जिसमें पटना हाईकोर्ट सहित सिविल कोर्ट के कई न्यायाधीश पहुंच कर दोनों लोगों को सम्मानित करेंगे।