शिशु को बोतल से दूध पिलाने के भी होते है नुकसान, जानें कैसे करें फीड
मां बनने का अहसास ही अलग होता है, मातृत्व में आने के बाद महिलाएं अपने शिशु से जुड़ी हर चीज का ध्यान बहुत ध्यान से रखती हैं। चाहे वो बेबी प्रोडक्ट हो या फिर कपड़े। माएं अपने शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखती हैं लेकिन जाने-अनजाने में हमसें ऐसी गलतियां हो जाती है जो बच्चों की स्वास्थ्य पर गलत असर डालती हैं।
इन्हीं में से एक गलती है बच्चों को बोतल से दूध पिलाना। तकरीबन हर माएं बच्चों को दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल करती है लेकिन क्या आप जानती हैं बोतल से दूध पिलाने के अलावा खराब क्वॉलिटी की बोतल यूज करने का सीधा असर शिशु के सेहत पर पड़ता हैं। यहां जानिए बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के क्या नुकसान होते हैं।
मोटापे का शिकार
मार्केट में मिलने वाले दूध में सिर्फ मिलावट का खतरा ही नहीं होता है, बल्कि इनमें काफी मात्रा में कैलोरी होती है जो बच्चे के मोटापे की वजह बनती है। एक रिसर्च में ये पाया गया कि बोतल से दूध पीने वाले बच्चे मोटापे का जल्दी शिकार होते हैं।
इंफेक्शन होने के चांसेज
कई बार हम बाजार में मिलने वाले बोतल की जांच-पड़ताल नहीं करते हैं और खराब क्वॉलिटी की बोतल की वजह से बच्चों को कई तरह के इंफेक्शन और पेट संबिधित बीमारी होने के चांसेस रहते हैं। बोतल की अगर अच्छी तरह सफाई ना की जाए, तो इससे डायरिया या दस्त जैसी परेशानी हो सकती है। वहीं, मां के दूध में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व बच्चों को निमोनिया, दस्त जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।
बच्चों के पेट में पहुंच सकते हैं खतरनाक रसायन
महिलाएं बच्चों को दूध पिलाने के लिए प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करती हैं। प्लास्टिक कई तरह के रसायनों को मिलाकर बनाया जाता है। जब इसमें बच्चे को पिलाने वाला गर्म दूध डाला जाता है तो इसमें मौजूद रासायनिक तत्व दूध के साथ मिल जाते हैं। जिसके बाद ये दूध काफी खतरनाक हो जाता है।
दांतों की सड़न
अगर, शिशु के दांत निकलने शुरु हो गए हैं, तो सोते हुए शिशु के मुंह में बोतल लगाकर छोड़ने से उसके दांतों में सड़न शुरु हो सकती है। आपको शिशु को रात में आखिरी बार दूध पिलाने के बाद और सोने से पहले उसके दांत अवश्य साफ करने चाहिए।
हो सकती है फेफड़ों की दिक्कत
कई बार बच्चा दूध पीते-पीते सो जाता है। ऐसे में बोतल का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे कभी-कभी गले की नली में ही दूध की कुछ मात्रा रह जाती है, जिससे बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होती है और उसके फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान
– छह महीने से ज्यादा के शिशु को ठोस आहार खिलाना शुरु कर दिया है, तो कोशिश करें कि अब उसे कम बार दूध पिलाएं। इस तरह शिशु के लिए बोतल से दूध पीना और दूध पीते हुए सो जाने के आदत को कम किया जा सकता है।
– इसके अलावा शिशु को बोतल से दूध पिलाने की आदत छोड़ने के लिए पानी डालकर पिलाने का प्रयास करें। इससे शिशु खुद ही समझने लगेगा कि पानी के लिए जगना सही नहीं हैं।
– धीरे-धीरे शिशु की बोतल से दूध कम करते रहें।