November 22, 2024

बहुत से लोग नहीं जानते होंगे हल्‍दी वाला दूध बनाने का सही तरीका

हम में से बहुत लोग ऐसे हैं जो हल्‍दी वाला दूध बनाते वक्‍त पैन में दूध के साथ हल्‍दी पाउडर मिक्‍स कर देते हैं और उसे गरम कर के पी जाते हैं। यकीन मानिए यह न केवल टेस्‍ट में खराब लगता है, बल्‍कि इसका पूरा पोषण भी आपको नहीं मिल पाता।

सिलेब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट मुनमुन गनेरीवाल ने इंस्‍टाग्राम पर वीडियो शेयर करते हुए बताया कि 'अगर हम बीमार भी हो जाते हैं, तो हल्‍दी दूध हमें जल्‍दी ठीक करने में मदद करता है। लेकिन हम में से बहुत लोग नहीं जानते हैं कि हल्‍दी वाला दूध बनाया कैसे जाता है। यदि इसे सही विधि के साथ बनाया जाए तो यह आपके शरीर पर कमाल का असर दिखा सकता है।

कई लोग ऐसा भी बोलते हैं कि इसका टेस्‍ट पीने में अच्‍छा नहीं लगता। इसलिए अगर आप इसको सही विधि से नहीं बनाएंगे तो यह आपको अच्‍छा स्‍वाद नहीं देगा। यदि आप इसे सही तरीके से बनाते हैं तो सच मानिए इसका स्‍वाद बेहद स्‍वादिष्‍ट लगता है।'

​हल्‍दी वाला दूध बनाने का असली तरीका

    एक पैन लें और उसमें थोड़ा सा घी डालें।
    अब उसमें हल्‍दी पाउडर मिलाएं। इसे धीमी आंच पर कुछ सेकंड के लिए पकने दें।
    अब उसमें एक चुटकी काली मिर्च, जायफल पाउडर और दालचीनी पाउडर मिक्‍स कर दें।
    गैस को बंद करें और एक कप गरम दूध डालें और स्‍वादअनुसार चीनी डालकर पिएं।

​हल्‍दी वाले दूध में क्‍यों जरूरी है इतने मसाले मिलाना

    याद रखें कि हल्दी पाउडर कभी भी पिसी हुई साबुत हल्दी की तरह प्रभावी नहीं होती है, क्‍योंकि बाजार में मिलने वाला हल्‍दी पाउडर मिलावटी भी हो सकता है।
    हल्‍दी वाले दूध में घी का प्रयोग करने से हल्‍दी के एक्‍टिव कंपाउंड अच्‍छी तरह से घी में समा जाते हैं और वह दूध पूरी तरह से पौष्‍टिक बन जाता है।
    हल्‍दी वाले दूध में काली मिर्च अगर डालेंगे तो उससे हल्‍दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन का प्रभाव कई गुना और बढ़ जाएगा।

हल्‍दी वाले दूध में मिली सामग्री में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि कर्क्यूमिन के एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव दवाओं के समान काम करते हैं, जिसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। (1)(2) ये एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पुराने गठिया और रुमेटीइड को दूर कर जोड़ों के दर्द को कम कर सकते हैं।

हल्‍दी वाले दूध में कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो याददाश्त को बनाए रखने और अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग को कम करने में मदद करते हैं। इसे नियमित पीने से दिमाग तेज बनता है। इस दूध को बनाते वक्‍त इसमें दालचीनी का प्रयोग जरूर करें, क्‍योंकि यह पार्किंसंस रोग के लक्षणों को कम करती है। जानवरों पर हुई एक स्‍टडी में इसने मस्तिष्क के कार्य में सुधार किया। (3)

आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले दूध के आधार पर हल्‍दी वाला दूध कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर हो सकता है। ये दोनों पोषक तत्व ऑस्टियोपीनिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारियों का खतरा कम करते हैं।

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