नो टाइम टू डाई
ब्रिटिश खूफिया एजेंट जेम्स बॉन्ड अब रिटायर हो चुका है। वह अब अकेले एक वैरागी की तरह जिंदगी जी रहा है। लेकिन इसी बीच वह खुद को प्रोजेक्ट हेराक्लीज़ के रहस्य में उलझा हुआ पाता है। वह इसे सुलझाने की जितनी कोशिश करता है, यह उतना उलझता जाता है। कई बार उसे यह लगने लगता है कि वह हार रहा है। लेकिन क्या वह इस मिशन को पूरा पाएगा? क्या प्रोजेक्ट हेराक्लीज का रहस्य सुलझेगा? फिल्म 'नो टाइम टू डाई' इसी की बानगी है।
रिव्यू
जेम्स बॉन्ड फ्रेंचाइजी फिल्मों के फैन्स के लिए 'नो टाइम टू डाई' खास है। ऐसा इसलिए कि यह बतौर जेम्स बॉन्ड ऐक्टर डेनियल क्रेग की आखिरी फिल्म है। शुरुआत में वह यह फिल्म करने को भी तैयार नहीं थे, लेकिन आखिरकार उन्हें मना लिया गया। फिल्म की रिलीज में भी कोरोना महामारी के कारण देरी हुई है। जाहिर है ऐसे में 'नो टाइम टू डाई' के लिए दर्शकों का उत्साह पहले से कहीं अधिक है। अच्छी बात यह है कि फिल्म आपको निराश भी नहीं करती। बल्कि कई मायनों में उम्मीद से बेहतर एंटरटेनमेंट दे जाती है।
फिल्म की शुरुआत यानी इंट्रो सीन से ही यह तय हो जाता है कि यह ऐक्शन के साथ-साथ रोमांस का भी तड़का लगाएगी। इसमें धमाके होंगे और यह धोखा देने की भी कहानी होगी। फिल्म कह कहानी आपको पहले ही सीन से बांधती है और कुर्सी पर बिठाए रखती है। खास बात यह भी है कि यह फिल्म 2 घंटे 43 मिनट लंबी है। यह किसी भी पिछली बॉन्ड फिल्म के मुकाबले लंबी है। लेकिन बावजूद इसके रोमांच ऐसा है कि आप अंत में कुछ और की चाहत रखते हैं।
इस फिल्म की कहानी में वह सब कुछ है जो एक बॉन्ड के रूप में आप डेनियल क्रेग से उम्मीद करते हैं। साथ ही यह पुरानी 007 फिल्मों के लिए भी एक श्रद्धांजलि है, जिनमें रोजर मूर और सीन कॉनरी ने ऐक्ट किया था। जेम्स बॉन्ड फ्रेंचाइजी फिल्मों की तरह इस फिल्म में शानदार गाड़ियां है, जिनमें नए और आधुनिक हथियार लैस हैं। फैंसी गजेट्स हैं। साइंटिफिक फिक्शन का ट्विस्ट है। खतरनाक ऐक्शन सीक्वेंस हैं और एक ऐसा विलन है, जो कभी नहीं हारता। जेम्स बॉन्उ एक बार फिर दुनिया को बचाने के लिए निकला है और यह सब आपके अंदर रोमांच जगाता है।