जानिए कैलेंडर का इतिहास, आज भी 20 संवत है प्रचलन में

दुनिया में सैंकड़ों संवत प्रचलित हैं।उनमें से मुश्किल से 50 संवतों को अभी भी महत्व दिया जा रहा है। अन्यान देशों में लगभग 20 संवत/ कलेण्डर आज भी प्रचलन में हैं।

भारत के पंचांग (कलेण्डर)
1. युधिष्‍ठिर संवत /युगाब्द/कलि युगाब्द:5123
2. बौद्ध संवत :2595
3. वीर निर्वाण संवत : 2547
4. शंकराचार्य संवत : 2528
5. विक्रम संवत/ विक्रमी कलेण्डर : 2078 (57 ई पू से प्रारम्भ)) भारत एवं नेपाल में प्रचलित
6. शालिवाहन/ रा. शक संवत : 1943 (78 ईस्वी से प्रारम्भ)भारतीय राष्ट्रीय कलेण्डर; जावा, बाली, इण्डोनेसिया में आज भी प्रचलित
7. लोधी संवत: 1843 (द्वारा ब्रह्मस्वरूप लोधी)
8. बंगला संवत: 1428
9.हिजरी संवत: 1443

अन्य पंचांग (कलेण्डर)
10. रोमन कलेण्डर:753 ई.पू. प्रारम्भ,  मार्च से दिसम्बर 10 माह (304 दिन) का एक वर्ष।राजा नूमा पिम्पोलियस ने इसमें दो माह जनवरी एवं फ़रवरी को जोड़कर 12 माह (355 दिन) का बनाया।रोमन भाषा में septa, octa, nona एवं deca को क्रमशः 7,8,9 एवं 10 कहा जाता है।
Septa से September
Octa से October
Nona से November
Deca से December  जो 7,8,9 एवं 10 है किन्तु बाद में January तथा February  जुड़ने के कारण ये माह 9,10,11 एवं12 हो गए।
ग्रहीय गति के अंतर को अद्दतन करने तथा 46 BC को ठीक करने के लिए जूलीयस सीज़र नें इस वर्ष  को 365-1/4 दिन करने का आदेश दिया तथा बीते वर्षों के दिनो के अंतर को ठीक करने के लिए इस वर्ष को (46 BC को) 445-1/4 दिन का मनाया गया।इतिहास में इस वर्ष को year of confusion कहते हैं।

11. जूलियन कलेण्डर: दिनो में कुछ परिवर्तन के साथ दो महीनो के नाम बदले गए ; जूलियन के नाम पर Quinitiles को July तथा सम्राट अगस्टस के नाम पर  Sextilis को August किया गया।

12. ईस्वी सन (ग्रेगोरियन कलेण्डर): 2021
पोप ग्रेगोरी के आदेश पर वर्ष October 1582 से लागू ।ग्रहीय गति के कारण जो अंतर आया उसे दो बार ठीक किया गया।

  • 1582 ; 4 October के अगले दिन को 15 October माना गया (10 दिन का अन्तर)
  • 1752; 2 September के अगले दिन को 14 September माना गया। (11 दिन का अन्तर)