फलाहारी बाबा बोले – दयालु भोलेनाथ एक लोटा जल के अभिषेक से हो जाते हैं प्रसन्न

नई दिल्ली
बलदेव पार्क में वृंदावन से आए नया उदासीन अखाड़ा के संत श्री श्री 1008 फलाहारी बाबा ने शिवभक्तों को श्रवण मास में जलाभिषेक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भोलेनाथ दयालु हैं। वह एक लोटा जल के अभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। फलाहारी बाबा ने कहा कि शिव महापुराण के अनुसार श्रवण मास में भोलेनाथ पार्वती के साथ भूलोक में निवास करते हैं।
इसलिए इस कालखंड में शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। शास्त्र बताते हैं कि भगवान भोलेनाथ पहली बार ससुराल जाने के लिए श्रवण मास में धरती पर अवतरित हुए थे। ससुराल में उनका जल से अभिषेक कर स्वागत किया गया था, जिससे वह बहुत प्रसन्न हुए थे। फिर ऐसी मान्यता बन गई कि भगवान शिव हर वर्ष श्रवण मास में अपने ससुराल जाते हैं, इसलिए भक्त जलाभिषेक कर उनको प्रसन्न करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पौराणिक कथाओं में यह भी लिखा है कि समुद्र मंथन श्रवण मास में ही हुआ था। जब मंथन से विष निकला, तो पूरे संसार की रक्षा करने के लिए भोलेनाथ ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से महादेव को बचाने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उनको जल अर्पित किया था।
इससे राहत पाकर भोलेनाथ प्रसन्न हुए थे। इस महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भक्तों के संकट भी दूर हो जाते हैं। इस अवसर पर श्री भीष्म लाल शर्मा चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन राजीव शर्मा, विपिन शर्मा, रमेश गर्ग, किशन अग्रवाल, अजय उपाध्याय, शेखर शर्मा समेत काफी भक्त उपस्थित रहे।