भाजपा-कांग्रेस का फोकस अब नगरपालिका और नगर परिषद अध्यक्ष पदों पर
भोपाल
गैरदलीय आधार पर हुए जिला और जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी समर्थित नेताओं की ताजपोशी के बाद भाजपा का फोकस अब नगरपालिका, नगर परिषद अध्यक्ष और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष के पदों पर है। इसको लेकर पार्टी ने उन सभी नगर निगम और नगरपालिका प्रभारियों को क्षेत्र में भेज दिया है जहां अब शपथ के बाद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष के चुनाव होना हैं। इस बीच पार्टी दलीय आधार पर हुए नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा विधायकों, जिला अध्यक्षों व पार्टी पदाधिकारियों के परिजनों को इन पदों पर बैठाने से तौबा कर सकती है। प्रदेश संगठन ने इसके संकेत नगर निगम और नगर पालिका प्रभारियों को दिए हैं। इसके साथ ही जिला अध्यक्षों से नगर परिषदों में भी प्रभारी भेजने के लिए कहा गया है।
प्रदेश भाजपा ने चुनाव परिणाम आने के पहले ही नगर निगम और नगरपालिका के लिए प्रभारियों की नियुक्ति कर दी थी। परिणाम आने के बाद अब चूंकि 16 नगर निगम और 76 नगरपालिकाओं में महापौर, पार्षदों की शपथ के बाद प्रथम सम्मिलन की तैयारी है और इस सम्मिलन में नगर पालिका व नगर परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा नगर निगम में सभापति और नेता प्रतिपक्ष का चुनाव होना है। इसलिए इन पदों पर भाजपा के लोगों की ताजपोशी के लिए संगठन ने व्यापक रणनीति पर काम शुरू किया है। ब्लाक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर इसको लेकर मंथन चल रहा है और बीजेपी हर छोटी नगर परिषद तक को विशेष फोकस कर रही है ताकि उस पर पार्टी के पार्षद को ही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाया जा सके। भाजपा की कोशिश है कि जहां भाजपा के कम पार्षद हैं वहां भी अध्यक्ष उपाध्यक्ष का पद भाजपा के निर्वाचित पार्षद को मिलने में कोई कसर न रखी जाए। इसी को लेकर प्रदेश संगठन के निर्देश पर सभी नगर पालिका व नगर निगम प्रभारी जिलों में हैं और पार्टी के साथ कांग्रेस व निर्दलीय पार्षदों से भी संवाद कर प्रदेश संगठन को रिपोर्ट दे रहे हैं।
सीएम निवास में हुई बैठक
रविवार को मुख्यमंत्री निवास में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और मंत्री भूपेंद्र सिंह की बैठक एक घंटे तक चली। इस बैठक में जिलावार नगर निकायों की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष निर्वाचन की समीक्षा कर उन निकायों पर चर्चा की गई जहां कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों को तोड़कर भाजपा का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति, नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। बैठक में सिंगरौली, रीवा, छिंदवाड़ा, मुरैना, ग्वालियर नगर निगम की स्थितियों पर भी खासतौर पर मंथन किया गया।
जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़ी हार का सामना करने के बाद कांग्रेस अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। अपने बहुमत वाली हर नगर पालिका एवं नगर परिषद पर पीसीसी सीधे नजर रखेगी। जरुरत हुई तो भोपाल से बड़े नेताओं को नगर पालिका क्षेत्रों में भेजा जा सकता है। अध्यक्ष के उम्मीदवार के लिए विधायक की जगह पार्षदों की राय को ज्यादा महत्व मिल सकता है। प्रदेश कांग्रेस ने सभी जिला अध्यक्षा से अपने पार्षदों की नगर पालिका और परिषद वार जानकारी भोपाल बुलाई है। इन सभी में अगस्त के पहले सप्ताह में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव होना है।
बहुमत वाली सीटों पर कांग्रेस अपना अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष बनवाने का यहां पर मौका नहीं खोना चाहती है। इसके लिए कमलनाथ की कोर टीम और प्रदेश कांग्रेस के चुनिंदा पदाधिकारियों ने मिलकर रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत सभी नगर पालिका और नगर परिषदों से कांग्रेस पार्षदों के साथ ही कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़कर जीते पार्षदों की जानकारी मांगी है। इस जानकारी के आधार पर पीसीसी से ही इन लोगों से सीधे संपर्क करने का प्रयास होगा। वहीं जिला अध्यक्ष और क्षेत्र के कांग्रेस विधायक, जिला प्रभारी, सह प्रभारी भी इन पार्षदों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करेंगे। इसमें यह भी तय किया जाएगा कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष उम्मीदवार के लिए राय ली जाएगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष उम्मीदवार का चयन जिला अध्यक्ष या विधायक के कहने पर नहीं करेगी। पार्षदों की राय को इसमें महत्व वह दे सकती है। इसके बाद वोटिंग से पहले यदि जरुरत हुई तो इन्हें किसी गुप्त स्थान पर रखा जा सकता है।