November 22, 2024

ऋषि पंचमी पर करे सप्त ऋषियों की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। इसी के बीच अब जल्द ही ऋषि पंचमी का व्रत (Rishi Panchami Vrat) आने वाला है। यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ऋषि पंचमी का व्रत 1 सितंबर को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। यह व्रत खासतौर से महिलाएं रखती हैं।

दोपहर में होगी सप्त ऋषियों की पूजा

सप्त ऋषियों की पूजा के लिए दोपहर का समय शुभ माना गया है। 1 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और गुरूवार का दिन है। पंचमी तिथि का आगमन 31 अगस्त की रात 3 बजकर 22 मिनट पर होगा, दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। उसके बाद षष्ठी तिथि लग जायेगी। इसलिए दोपहर 2  बजकर 49 मिनट के पहले ही ऋषि पंचमी व्रत की पूजा की जाएगी।

 ऋषि पंचमी 2022 के लिए शुभ मुहूर्त

    गुरुवार, 1 सितंबर 2022
    पंचमी तिथि प्रारंभ : 31 अगस्त 2022 को 03:23 PM
    पंचमी तिथि समाप्त: 1 सितंबर 2022 को 02:49 PM
    ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त : 11:03 AM से 01:32 PM
    अभिजीत मुहूर्त: 12:01 PM से 12:51 PM
    अमृत काल मुहूर्त 03:24 PM से 05:00 PM, 1सितंबर
    ब्रह्म मुहूर्त :- 04:36 AM से– 05:24 AM,1 सितंबर
    रवि योग : 12:12 AM, से 05:39 AM, 01 सितंबर

    ऋषि पंचमी 2022 पूजा मुहूर्त – 1 सितंबर 2022 सुबह 11: 05 एएम से 01: 37 पीएम तक

    पारणा समय: 06.35 AM से 8.55 AM

सुबह जल्दी उठकर इस व्रत को विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति का कल्याण होता है। इस दिन सप्त ऋषियों की पांरपरिक पूजा का विधान है। उन 7 ऋषियों के नाम हैं – ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ। इन्होंने समाज कल्याण के लिए काम किया था। इसलिए उनके सम्मान में यह व्रत और पूजन करते हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कोई भी व्यक्ति खासकर महिलाएं इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन करते है और सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। माना जाता है कि स्त्रियों को रजस्वला दोष लगता है। इसलिए कहते हैं कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित किए गए पाप से मुक्ति मिलती है।

ऋषि पंचमी की पूजा विधि

ऋषि पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर हल्दी का चौकोर मंडल बनाना चाहिए। उस पर सप्त ऋषियों के स्थापना कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दीप, धूप और नैवेद्य चढ़ाकर ऋषि पंचमी की कथा सुनना चाहिए। साथ ही सप्त ऋषियों को मीठा भोग भी लगाना चाहिए। इसके बाद दिनभर उपवास रखकर रात को एक ही समय भोजन करें। संभव हो तो किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। माना जाता है कि इस दिन जमीन से उगे हुए अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। ऋषियों के पूजन के समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें।

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