छह साल में 10 गुना बढ़ीं ED की FIR दर, 96% के कन्विक्शन रेट
नईदिल्ली . प्रवर्तन निदेशालय यानी ED, देश की सबसे ताकतवर एजेंसी. इतनी ताकतवर कि वो जब चाहे किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. वो भी बिना कोई वारंट. गिरफ्तारी का कारण भी नहीं बताना… ED ने अगर किसी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी, तो यकीन मानिए बच पाना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कन्विक्शन रेट 96 फीसदी है.
दरअसल, ED ने अपनी परफॉर्मेंस का डेटा शेयर किया है. इसमें जांच एजेंसी ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट (FEOA) के तहत 31 जनवरी 2023 तक दर्ज मामलों के बारे में आंकड़े दिए हैं.
ED के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कानून आने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5 हजार 906 केस दर्ज किए गए हैं. इनमें से 176 यानी 2.98% मामले मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक और एमएलसी के खिलाफ हैं.
ED ने बताया कि इनमें से 1 हजार 142 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. जबकि 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 25 मामलों में ट्रायल पूरा हो चुका है. 24 मामलों में आरोपी दोषी ठहराए गए हैं, जबकि एक में बरी कर दिया गया है. इस हिसाब से मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कन्विक्शन रेट 96 फीसदी है.
ED ने ये भी बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों की 36.23 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है, जबकि अदालत ने भी दोषियों पर 4.62 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने ये आंकड़े ऐसे समय जारी किए हैं, जब विपक्षी राजनीतिक पार्टियां अपने नेताओं के खिलाफ एजेंसी की कार्रवाई को लेकर सवाल उठा रही हैं.
ED ने जो आंकड़े दिए हैं, उसके मुताबिक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत 1,919 कुर्की आदेश जारी किए गए थे, जिसके तहत कुल 1 लाख 15 हजार 350 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है.
बड़े-बड़े ED के घेरे में…
ED मौजूदा मुख्यमंत्रियों, बड़े राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेस घराने, कॉरपोरेट और विदेशी नागरिकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.
दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ED तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता से पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और नौकरशाहों से भी कथित कोयला लेवी घोटाले को लेकर पूछताछ की जा रही है.
पिछले साल फरवरी में ED ने एनसीपी नेता नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. उन पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के करीबी सलीम से मार्केट रेट से कम कीमत में जमीन खरीदने का आरोप है.
पिछले साल ही ED ने महाराष्ट्र के पात्रा चॉल घोटाले के सिलसिले में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) सांसद संजय राउत को भी गिरफ्तार कर लिया था. अगस्त 2022 में ED ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी कोयले की चोरी से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था.
बीते साल अगस्त में ही ED ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की थी. ED के अधिकारियों ने सोनिया गांधी से तीन दिन में 11 घंटे और राहुल गांधी से 5 दिन में 50 घंटों से ज्यादा पूछताछ की थी.
यही वजह है कि विपक्षी पार्टियां ED के दुरुपयोग के आरोप लगाती रहती हैं. बीते कुछ सालों में ED की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले तेजी से बढ़े हैं. 25 जुलाई 2022 को लोकसभा में सरकार ने 10 साल में मनी लॉन्ड्रिंग के दर्ज मामलों का आंकड़ा दिया था. इसके मुताबिक, 2012-13 से लेकर 2021-22 तक ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के करीब चार हजार मामले दर्ज किए थे. इनमें से तकरीबन 90 फीसदी मामले मोदी सरकार आने के बाद दर्ज हुए थे.
क्या काम है ED का?
1947 में फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (FERA) लागू हुआ. इसी के तहत 1 मई 1956 को ED का गठन किया गया. पहले इसका नाम इन्फोर्समेंट यूनिट था, जिसे बाद में बदलकर इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट कर दिया गया.
शुरुआत में ED का काम विदेशों में चल रहे एक्सचेंज मार्केट में लेनदेन कर रहे लोगों की जांच करना था. बाद में PMLA, FEMA, FEOA जैसे कानून आए और ED की ताकत बढ़ती गई.
मुख्य रूप से ED तीन तरह के अपराधों पर काम करती है. पहला- मनी लॉन्ड्रिंग, जिसमें पैसों की हेराफेरी कर कमाई गई संपत्ति की जांच करना और उसे जब्त करना है. दूसरा- विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन रोकना और तीसरा- भगौड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना, जिसमें विदेश भाग चुके अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करना.
कितनी ताकतवर है ED?
2013 में यूपीए सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन कर दिया था. इस संशोधन के बाद चाहे कितनी भी रकम का हेरफेर हो, ED को जांच का अधिकार मिल गया था. जबकि, पहले ये सीमा 30 लाख रुपये तक की थी.
पीएमएलए एक्ट में सबसे बड़ा बदलाव 2019 में मोदी सरकार ने किया. इसने ED को बहुत ताकतवर बना दिया. इसने ED को ये अधिकार दे दिया कि वो किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है. इतना ही नहीं, ED को ये अधिकार भी दिया गया कि अगर उसे लगता है कि कोई संपत्ति गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए पैसों से बनाई गई है तो उस पर भी कार्रवाई कर सकती है.
इसके अलावा, ED के पास ये भी पावर है कि वो किसी व्यक्ति को अगर समन जारी करती है तो उसका कारण बताने की जरूरत नहीं है. साथ ही ED के सामने दिया गया बयान कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य है, जबकि बाकी मामलों में बयान कानूनी रूप से तभी वैध होता है जब उसे मजिस्ट्रेट के सामने रिकॉर्ड करवाया जाता है.
पुलिस या दूसरी जांच एजेंसी अगर एफआईआर दर्ज करती है तो आरोपी के पास उसकी कॉपी मांगने का अधिकार होता है. लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कॉपी देने का प्रावधान नहीं है.
पीएमएलए कानून में सबसे बड़ी सख्ती ये है कि इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का बोझ आरोपी पर होता है. ऐसे मामलों में जमानत मिलने में भी मुश्किल होती है.