भारत में जबरन चुप करवाने के दावों पर पीड़ा होती है : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली
 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की ‘जबरन चुप कराने’ की टिप्पणी पर तंज करते हुए बुधवार को कहा कि भारत में जितनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, उतनी दुनिया के किसी और स्थान पर नहीं मिल सकती।

‘मन की बात एट 100’ सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए धनखड़ ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले इस मासिक कार्यक्रम को राजनीति से दूर रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम देश के लिए उम्मीद की किरण और हर आदमी की दिल की बात बन गई है। उन्होंने कुछ लोगों के देश में या बाहर जाकर ‘शुतुरमुर्ग वाला रूख अख्तियार करने की आलोचना की और पूछा कि हम अपनी उपलब्धियों को कैसे नजरंदाज कर सकते हैं?

सोनिया गांधी के हाल के लेख ‘इंफोर्स्ड साइलेंस’ के परोक्ष संदर्भ में धनखड़ ने कहा कि भारत में जितनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, उतनी दुनिया के किसी और स्थान पर नहीं मिल सकती। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर कई बार पीड़ा होती है कि हमारा बुद्धिजीवी वर्ग क्या कर रहा है। जबरन चुप करने को लेकर लम्बे लेख लिखे जा रहे हैं। देश में जबरन चुप कैसे किया जा सकता है। इतनी अधिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दुनिया के किसी और स्थान पर नहीं मिल सकती है।’’ उद्घाटन सत्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकर और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव अपूर्व चंद्र तथा प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी भी मौजूद थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें कई बार तरस आता है और इस बात पर चिंतन, मंथन करन पड़ता है कि हमारे ही कुछ लोग देश में या बाहर जाकर क्यों ‘शुतुरमुर्ग वाला रूख’ अख्तियार करते हैं? वे क्यों दीवार पर लिखी इबारत को नहीं देखते? उन्होंने कहा, ‘‘मुझे तो बड़ा अजीब लगता है। मुझसे ज्यादा इस बात को कौन जनता है क्योंकि मैं उच्च सदन का अध्यक्ष हूं जो अधिकांश रूप से बाधित रहती है। लेकिन वहां बोलने की पूरी स्वतंत्रता रहती है।’’

उन्होंने कहा कि 1989 में जब वे पहली बार सांसद बने तब उन्हें लगा कि उनके पास काफी ताकत आ गई है क्योंकि वे हर साल 50 गैस कनेक्शन दे सकते थे। धनखड़ ने कहा, ‘‘लेकिन मन की बात के शिल्पकार ने 15 करोड़ गैस कनेक्शन दिये और वह भी मुफ्त। यह एक बड़ी उपलब्धि है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विजयदशमी के पावन अवसर पर साल 2014 में प्रधानमंत्री ने एक नायाब शुरुआत की – मन की बात। उनके ‘मन की बात’ हर आदमी के ‘दिल की बात’ बन जाती है।’’ उन्होंने कहा कि मन की बात ने रेडियो को जीवंत बना दिया क्योंकि इतने प्रौद्योगिकी विकास के कारण रेडिया पृष्ठभूमि में चला गया था, अब वह आगे आ गया। उन्होंने कहा कि आज आयोजित इस कार्यक्रम के चार सत्र हैं जिसमें पहला नारी शक्ति है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश में नारी शक्ति का उत्थान हो रहा है… जिन क्षेत्रों में पहले उनका पदार्पण नहीं था, अब वहां भी उनकी मजबूत उपस्थिति है। उन्होंने कहा कि हमें आधी आबादी को उनका हक देना ही होगा… इस दिशा में ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’ एक महत्वपूर्ण जन-अभियान है। विरासत के उत्थान का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लुक ईस्ट, एक्ट ईस्ट की बात कही। देश के पूर्वोत्तर भाग में संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य का कितना बड़ा खजाना अनसुना अनदेखा था और अब इस दिशा में काम शुरू हो गया है।

उन्होंने कहा कि पर्यटन के लिए लोग यूरोप- स्विट्जरलैंड जा रहे हैं, पर अपने देश को ठीक से नहीं जानते। उन्होंने कहा कि पहले हमें अपने देश के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को देखना-समझना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 100वीं कड़ी आगामी रविवार को प्रसारित होगी। उपराष्ट्रपति ने ‘मन की बात एट 100’ पर एक कॉफी टेबल पुस्तिका और प्रसार भारती के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस एस वेम्पती की पुस्तक ‘कलेक्टिव स्पिरिट, कंक्रीट एक्शन’ का विमोचन किया।

 

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