September 10, 2024

चांद के आसपास अकेला नहीं Chandrayaan-3, भारत का मान बढ़ा रहे हैं ये 2 और यान

 नई दिल्ली
चंद्रयान-3 चांद पर कब उतरेगा? 14 जुलाई 2023 यानी लॉन्चिंग के दिन से ही हर देशवासी के मन में यह सवाल है। इसी बीच इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने एक और उपलब्धि की जानकारी दे दी। बताया गया है कि चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया है। बहरहाल, खास बात यह है कि सिर्फ चंद्रयान-3 ही नहीं है, जो चांद के आसपास भारत की मौजूदगी दर्ज करा रहा है।

ये भी हैं मौजूद
2023 में चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने से पहले भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 रवाना किया था। हालांकि, उस दौरान चंद्रयान-2 को लैंडिंग और रोविंग में सफलता नहीं मिल सकी थी। इनके अलावा चंद्रयान-2 ऑर्बिटर भी चांद के आसपास मौजूद है। अब इन तीन यानों की मदद से भारत लगातार अंतरिक्ष की ओर मजबूती के साथ अपने कदम बढ़ा रहा है।

चंद्रयान-3 में क्या है खास
चंद्रयान-3 में प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम नाम का लैंडर और रोवर मौजूद है। खास बात है कि पिछले यान की तरह इसमें ऑर्बिटर नहीं है। इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल संचार में अहम भूमिका निभाता है। दरअसल, यह लैंडर के मैसेज को डिकोड करता है और उसे ISRO तक पहुंचाता है। इधर, डॉक्टर विक्रम साराभाई के नाम पर लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। इसे चांद पर एक दिन काम करने के लिए तैयार किया गया है। खास बात है कि यह पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान लैंडर भी अपने काम पूरे करेगा और सॉफ्ट लैंडिंग की ओर बढ़ेगा।

ये देश भी चांद पर दे रहे हैं दस्तक
खास बात है कि चांद के आसपास सिर्फ भारतीय मिशन ही नहीं बल्कि कई अन्य देश भी मौजूद हैं। इनमें अमेरिका, चीन और कोरिया का नाम भी शामिल है।

अब तक क्या हुआ और आगे क्या?
चंद्रयान -3 अंतरक्षि यान में प्रोपल्शन मॉड्यूल (एम) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसे कल थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए डीबूस्ट किया जाएगा। इसरो ने ट्वीट किया, 'सवारी के लिए धन्यवाद, दोस्त! लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने कहा।' इसमें कहा गया है, 'एलएम को PM से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है…एलएम कल लगभग 1600 बजे, आईएसटी के लिए नियोजित डीबूस्टिंग पर थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार है।'