हिमाचल में बागी 6 विधायकों की छिन गई सदस्यता, इस दांव का क्या असर
शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले कांग्रेस के छह बागी विधायकों पर स्पीकर कुलदीप पठानिया ने गुरुवार को अपना फैसला सुना दिया। कांग्रेस के सभी छह बागी विधायकों सुधीर शर्मा (धर्मशाला) राजिंदर राणा (सुजानपुर), इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर), रवि ठाकुर (लाहौल स्फीति), चैतन्य शर्मा (गगरेट), देविंदर भुट्टो (कुटलेहर) की सदस्यता खत्म कर दी गई है। स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि पार्टी व्हिप के उल्लंघन की वजह से उन पर दलबदल विरोधी कानून का प्रावधान लागू होता है और इस वजह से सदस्यता तुरंत प्रभाव से खत्म कर दी गई है।
कुलदीप पठानिया ने गुरुवार को मीडिया के सामने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'अध्यक्ष नहीं बल्कि ट्राइब्यूनल जज के नाते मैं यह फैसला सुना रहा हूं। छह माननीय विधायकों ने चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ा और दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान उन्होंने अपने ऊपर लगवाए। इसकी शिकायत की गई। दोनों तरफ से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील पेश हुए। दोनों तरफ की दलीलें विस्तार से सुनीं गईं। मैंने इस पर 30 पेज में फैसला दिया है। पार्टी ने जब व्हिप जारी किया था तो उन्होंने इसका उल्लंघन किया। इसलिए इनकी सदस्यता तुरंत प्रभाव से खत्म की जाती है।'
सदस्यता छिन जाने का क्या होगा असर
बागी विधायकों की सदस्यता छिन जाने के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का संकट कम हो जाएगा? 68 सदस्यीय विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा बदल गया है। 6 की विधायकी खत्म हो जाने के बाद अब सदन में 62 सदस्य बच गए हैं। अब सरकार को बहुमत के लिए 32 विधायकों की आवश्यकता है, जबकि कांग्रेस के पास अब 34 विधायक बचे हैं। भाजपा के पास 25 विधायक हैं तो 3 निर्दलीय विधायकों का साथ भी अब उसे हासिल हो चुका है। कांग्रेस के पास अब भी संख्याबल दिख रहा है, लेकिन असली संकट पार्टी में फूट और गुटबाजी है। विरोधी गुट के सबसे बड़े नेता विक्रमादित्य के खुलकर सामने आ जाने के बाद यह साफ हो गया है कि पार्टी में ऐसे कई विधायक हैं जिनकी निष्ठा वीरभद्र सिंह परिवार के साथ है, भले ही उन्होंने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग ना की हो।
कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं बागी
सदस्यता छीने जाने के फैसले को कांग्रेस के बागी विधायक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। स्पीकर कुलदीप पठानिया ने भी कहा कि यह फैसला अंतिम नहीं है और इसे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। हालांकि, बागी विधायकों की तरफ से खबर लिखे जाने तक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी।
सुक्खू ने विधायकों संग किया नाश्ता, विक्रमादित्य रहे दूर
मुख्यमंत्री सुक्खू ने गुरुवार सुबह पार्टी के सभी विधायकों को नाश्ते पर बुलाया। हालांकि, बताया जा रहा है कि विक्रमादित्य सिंह इसमें नहीं पहुंचे। एक दिन पहले इस्तीफे का ऐलान कर चुके विक्रमादित्य की ओर से इसे संकेत माना जा रहा है कि उनकी शिकायत अभी दूर नहीं हुई है।