November 22, 2024

अमेरिका के बाद दूसरा देश बना चाइना जिसने समंदर में उतारा सुपरकैरियर युद्धपोत

बीजिंग

चीन ने अपना पहला सुपरकैरियर समंदर में उतार दिया है. यह चीन का तीसरा विमानवाहक युद्धपोत है, जो अमेरिका से बाहर बना सबसे एडवांस एयरक्राफ्ट कैरियर है. इसका नाम है फुजियान (Fujian), जो चीन के प्रांत फुजियान के नाम पर रखा गया है. यह चीन का पहला कैटोबार एयरक्राफ्ट कैरियर है. पूरी तरह से चीन में ही बनाया गया है.

फुजियान सुपरकैरियर टाइप-03 एयरक्राफ्ट कैरियर है. जिसका डिस्प्लेसमेंट 71,875 टन है. 316 मीटर लंबे इस युद्धपोत का बीम 249 फीट ऊंचा है. कैटोबार का मतलब है कि इसके फाइटर जेट एक गुलेल जैसे डोर की मदद से टेकऑफ और लैंड करेंगे.

यह चीन का सबसे आधुनिक और खतरनाक विमानवाहक युद्धपोत है. इसमें फाइटर जेट्स के टेकऑफ और लैंडिंग के लिए तीन-तीन छोटे रनवे बनाए गए हैं. ताजा तस्वीरों में इन्हें टेंट जैसे ढांचों से ढंका गया है. इसे शंघाई के पास उत्तर-पूर्व में मौजूद जियांगनान शिपयार्ड में साल 2018 से बनाया जा रहा था.

क्या है इस युद्धपोत की ताकत, कैसे हथियार और फाइटर जेट होंगे तैनात?

इस युद्धपोत पर सेल्फ डिफेंस हथियारों के लिए HQ-10 शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम और 30 mm के H/PJ-11 ऑटोकैनन लगे होंगे. इसका राडार सिस्टम भी आयताकार है, यानी लंबी दूरी से आनी वाली मिसाइलों और फाइटर जेट्स को ट्रैक कर सकता है. साथ ही टारगेट लॉक कर सकता है.

इसके अलावा यह माना जा रहा है कि इस पर चीन अपने J-15B फाइटर जेट तैनात करेगा. इसके अलावा नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर J-35 भी तैनात किया जाएगा. J-15D इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर फाइटर जेट भी जरूरत पड़ने पर तैनात होगा. चीन इस युद्धपोत पर KJ-600 AEWC विमान भी तैनात करेगा, ताकि समंदर में जासूसी कर सके. सिर्फ इतना ही नहीं, फुजिया एयरक्राफ्ट कैरियर पर Z-8/18 यूटिलिटी और ASW हेलिकॉप्टर्स तैनात होंगे. साथ ही नया Z-20 मीडियम हेलिकॉप्टर भी तैनात किया जाएगा.

अमेरिका ने दावा किया था कि इसे ऑपरेशनल होने डेढ़ साल लगेंगे

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने जून 2022 में कहा था कि चीन भले ही इसे समुद्र में उतार ले, लेकिन पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में इस एयरक्राफ्ट करियर को अभी डेढ़ साल और लगेंगे. ये बात तब की है जब प्लैनेट लैब्स की तरफ से इस युद्धपोत के बनने की सैटेलाइट तस्वीरें जारी हुई थीं. फिलहाल यह युद्धपोत साल भर समुद्री ट्रायल्स में बिताएगा. इसके बाद इसे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी- नेवी (PLAN) में शामिल किया जाएगा.  

चीन की सारी लड़ाई अमेरिकी नौसेना से है, समंदर में ताकत बढ़ाने की जंग

चीन के इस विमानवाहक युद्धपोत को चीन की मिलिट्री के आधुनिकीकरण का हिस्सा माना जा रहा है. इसे बनाने के पीछे चीन का मकसद है एशियाई इलाके में अपनी धमक को बढ़ाना. युद्धपोतों की संख्या के मामले में चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. हालांकि क्षमताओं के मामले में वह अमेरिकी नौसेना से पीछे हैं. लेकिन जब बात होती है एयरक्राफ्ट कैरियर्स के संख्या की तब अमेरिकी नौसेना दुनिया की नंबर एक नेवी साबित होती है.

अमेरिका से आगे जाना चीन के बास की बात नहीं

अमेरिका के पास 11 परमाणु ईंधन संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. इसके अलावा अमेरिकी नौसेना के पास 9 एंफिबियस असॉल्ट शिप्स भी हैं. जिनपर हमलावर हेलिकॉप्टर्स और वर्टिकल टेकऑफ फाइटर जेट्स भी हैं. अमेरिका को एशियाई इलाके और प्रशांत महासागर में अपनी ताकत बढ़ाते देख चीन ने नए एयरक्राफ्ट करियर पर काम शुरू किया था.   

चीन प्रशांत और दक्षिणी चीन सागर पर चाहता है कब्जा

चीन के आसपास के समुद्री इलाकों पर छह देशों का दावा रहता है. रणनीतिक तौर पर यह समुद्री मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है. इस समुद्री इलाके में बहुतायत में तेल और गैस डिपॉजिट है. हालांकि शिकार और व्यापार की वजह से मछलियों की संख्या तेजी से कम हो रही है. चीन इस इलाके पर अपना दावा करता है.  

चीन की नाजायज हरकतों पर रोक लगाता है अमेरिका

अमेरिकी नौसैनिक युद्धपोत चीन द्वारा बनाए गए आईलैंड तक जा पहुंचे थे. उन्होंने वहां पर मौजूद एयरस्ट्रिप और अन्य सैन्य ठिकानों की रेकी की थी. चीन का कहना है कि अमेरिका घुसपैठ कर रहा है. अमेरिका का दावा था कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्ग को सुरक्षित बनाए रखने के लिए वह बीच-बीच में ऐसे मिलिट्री ड्रिल करता रहता है.