कभी आतंकवादियों का गढ़ रहे श्रीनगर में अब राजनीतिक हलचल नजर आ रही
श्रीनगर
कभी आतंकवादियों का गढ़ रहे श्रीनगर शहर में अब राजनीतिक हलचल नजर आ रही है। इस लोकसभा सीट से, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार के लिए एक रैली आयोजित कर साहसिक कदम उठाया।
श्रीनगर के हवल इलाके में एक समय प्रतिबंधित अल उमर मुजाहिदीन (एयूएम) आतंकवादी समूह की दहशत थी और 1990 के दशक की शुरुआत में अपहरण यहां आम बात थी। अब हवल में राजनीतिक रैलियों और पार्टी गतिविधियों को साफ देखा जा सकता है।
उमर अब्दुल्ला की रैली में शामिल लोग बेहद उत्साहित दिखे। मीरवाइज उमर फारूक की अगुवाई वाले उदारवादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का केंद्र माने जाने वाली ऐतिहासिक जामा मस्जिद से कुछ ही मीटर की दूरी पर, तिब्बती कॉलोनी के एक पार्क में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस की रैली में भीड़ को प्रबंधित करने के लिए सुरक्षा बलों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, अब्दुल्ला ने शहर के बेरोजगार युवाओं को सड़क के किनारे गुमटियां संचालित करने के लिए आसान ऋण प्रदान करके उनका सहयोग करने के प्रयास किए थे। इसका मकसद इन नौजवानों को राष्ट्र-विरोधी तत्वों से तथा पथराव आदि गतिविधियों से दूर रखना था।
साल 2014 में आई भीषण बाढ़ के कारण कई युवा फिर से बेरोजगार हो गए और पथराव की घटनाएं बढ़ गईं। नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता से बाहर हो गई, लेकिन अब्दुल्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान युवाओं के लिए जो निवेश किया था, उसे बाढ़ नहीं बहा सकी। इसका प्रभाव रविवार की रैली के दौरान साफ दिखा।
माहौल जोशपूर्ण था, पार्क पूरी तरह भर गया था और लोग अपने घरों की छतों पर भी बैठ गए थे। नेशनल कॉन्फ्रेंस और उनके उम्मीदवार आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी के समर्थन में खूब नारे लगे। भीड़ को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने मेहदी की निडरता और निर्वाचन क्षेत्र की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता की प्रशंसा की।
अपने भाषण के दौरान अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोग बहुत कठिन समय से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मुंह बंद कर दिए गए हैं, हमारी आवाज नहीं सुनी जाती और हमारे सरकारी कार्यालयों में बाहरी लोग भरे हुए हैं।’’
आगामी 13 मई को होने वाले श्रीनगर लोकसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस को पीडीपी के वहीद पारा से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। एक समय आतंकवाद से पीड़ित रहे क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियों में वृद्धि ने, राजनीतिक रूप से अधिक सक्रियता वाले भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित किया।
राजनीति के दिग्गज फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को श्रीनगर शहर में रैलियां कीं, जो उस क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के पुन:उदय का संकेत है जो हिंसा और अशांति का पर्याय था।
फारूक अब्दुल्ला ने खानयार और अली कदल में रैलियां कीं, जबकि ‘जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी’ के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने शहर के फतेह कादल में एक छोटी रैली की।
पीडीपी उम्मीदवार पारा मुख्य रूप से क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।