November 22, 2024

दक्षिण-पश्चिम दिशा में बेसमेंट से मिलते हैं शुभ परिणाम

वास्तु विज्ञान के अनुसार भवन में बेसमेंट (तलघर) का निर्माण कभी भी सम्पूर्ण भूखंड में नहीं करना चाहिए। भवन का उत्तरी और पूर्वी भाग, दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग की तुलना में नीचा रहना शुभ माना गया है। अतःबेसमेंट का निर्माण हमेशा भवन के उत्तर एवं पूर्व में करना श्रेष्ठ रहता है। इसका प्रवेश द्वार पूर्वी ईशान, दक्षिण आग्नेय, पश्चिमी वायव्य अथवा उत्तरी ईशान में करना चाहिए। दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में बनाया गया बेसमेंट वहां निवास करने वालों के लिए अत्यंत कष्टदायक हो सकता है। यदि किसी इमारत में पहले से ही दक्षिण-पश्चिम दिशा में बेसमेंट बना हुआ हो,तो उसका उपयोग भारी सामान रखने अथवा गैरेज हेतु करना चाहिए।

ध्यान रखना है जरूरी

    बेसमेंट की गहराई 10-12 फीट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जिसमें से ऊपर के 3-4 फीट जमीन के लेवल से ऊपर आने चाहिए, ताकि प्राकृतिक रोशनी और हवा के लिए खिड़कियां रखी जा सकें।
    बेसमेंट में आने-जाने के लिए सीढ़ियां ईशान कोण या पूर्व दिशा से वास्तु में लाभ देने वाली मानी गई हैं।
    सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के लिए बेसमेंट में सफेद या हल्का गुलाबी रंग का पेंट होना चाहिए। यहां गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
    घर में बेसमेंट का प्रयोग ध्यान, जप और एकाग्रता के लिए किया जाना उत्तम रहता है,यहां मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में करके बैठना शुभकारी होता है।
    व्यवसाय के लिहाज से बेसमेंट के दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य)दिशा में भारी सामान या मशीनें आदि रखी जानी चाहिए वहीं बेचने के लिए जो सामान रखा जाए उसे बेसमेंट की उत्तर-पश्चिम(वायव्य)दिशा में रखा जाना चाहिए। एयरकंडीशन,एग्जॉस्ट फैन हो तो सभी पूर्व दिशा या अग्नि कोण में ही होने चाहिए।

 

You may have missed