एग्जिट पोल में एनडीए गठबंधन संसद के 543 सदस्यीय निचले सदन में 350 से अधिक सीटें जीत रहा
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव 2024 के सातों चरण की वोटिंग खत्म हो गई है। अब 4 जून को नतीजे आएंगे, लेकिन उससे पहले तमाम न्यूज चैनलों और एजेंसियों के एग्जिट पोल्स सामने हैं। एनडीटीवी न्यूज चैनल के एग्जिट पोल में कहा गया है कि शनिवार को संपन्न हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन को बहुमत मिलने का अनुमान है। जबकि दो एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया है कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) संसद के 543 सदस्यीय निचले सदन में 350 से अधिक सीटें जीत सकता है, जहां साधारण बहुमत के लिए 272 की आवश्यकता होती है। 2019 के चुनाव में NDA ने 353 सीटें जीती थीं।
राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले विपक्षी 'इंडी' गठबंधन को 120 से अधिक सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत में अब तक एग्जिट पोल का रिकॉर्ड खराब रहा है, क्योंकि वे अक्सर चुनाव के नतीजे गलत बताते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि बड़े और विविधतापूर्ण देश में उन्हें सही बताना एक चुनौती है।
हालांकि, विपक्ष ने एग्जिट पोल को खारिज कर दिया है और उसके जारी होने से पहले "पूर्वनिर्धारित" कहा था। कई अन्य टीवी चैनल शनिवार को बाद में अपने एग्जिट पोल नंबर पेश करने वाले हैं। 19 अप्रैल से शुरू हुए सात चरणों के चुनाव में लगभग एक अरब लोग मतदान करने के पात्र थे और कई हिस्सों में भीषण गर्मी में चुनाव हुए।
चुनाव आयोग 4 जून को वोटों की गिनती करेगा और उसी दिन नतीजे आने की उम्मीद है। 73 वर्षीय मोदी की जीत उन्हें स्वतंत्रता नेता जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार जीतने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बना देगी। मोदी ने पिछले 10 वर्षों में अपनी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करके अपने फिर से चुनाव अभियान की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया और उस पर भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों का पक्ष लेने का आरोप लगाया, जिसे विपक्षी पार्टी नकारती है।
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में कहा गया था कि भाजपा चुनाव में आसानी से अपना बहुमत बनाए रखेगी। लेकिन पार्टी को "इंडी" गठबंधन के जोशीले अभियान का सामना करना पड़ा, जिससे इस बात पर संदेह पैदा हो गया कि मुकाबला कितना करीबी हो सकता है। उल्लेखनीय है कि विपक्ष ने लोकसभा चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर सकारात्मक कार्यक्रमों और संविधान को मोदी के तानाशाही शासन से बचाने के मुद्दे पर अभियान चलाया। हालांकि, भाजपा विपक्ष के तमाम आरोपों से इनकार करती रही।