J-10 एकमात्र लड़ाकू विमान हैं जो चीन और पाकिस्तान के साथ भारतीय सीमा के दोनों तरफ तैनात
बीजिंग
भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हाल ही में चीन ने अपने जे-10 लड़ाकू विमानों को तैनात किया है। ये विमान एलएसी पर स्थित भारतीय वायु सेना के उस बेस से मात्र 300 किमी दूर तैनात हैं, जो राफेल लड़ाकू विमानों का ठिकाना है। कुछ दिनों पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि चीन ने सिक्किम सीमा से सटे अपने बेस पर जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान को तैनात किया है। लेकिन, इस शोर के आगे जे-10 विमानों की मौजूदगी की खबर दब गई। जे-10 ही एकमात्र लड़ाकू विमान हैं जो चीन और पाकिस्तान के साथ भारतीय सीमा के दोनों तरफ तैनात हैं।
पाकिस्तान ने राफेल का मुकाबला करने के लिए खरीदा
पाकिस्तान ने इन जे-10 सिंगल-इंजन मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों को विशेष रूप से भारतीय वायु सेना (IAF) के राफेल का मुकाबला करने के लिए शामिल और तैनात किया है। सवाल यह है कि क्या भारत के दो फ्रंटलाइन फाइटर जेट- राफेल और LCA तेजस MK1A चीनी जे-10 की चुनौती का सामना कर सकते हैं। इस बीत यूरेशियन टाइम्स ने बताया, चीन ने इन लड़ाकू विमानों को पांचवीं पीढ़ी के छह जे-20 के साथ शिगात्से एयरबेस पर तैनात किया है, जो पश्चिम बंगाल में हासीमारा एयर बेस से 300 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। हाशिमारा में भारतीय वायु सेना के राफेल विमान तैनात हैं। चीन के विपरीत, भारत के पास अपने शस्त्रागार में पांचवीं पीढ़ी का विमान नहीं है।
भारत के एक्शन के जवाब में चीन ने की तैनाती
चीन द्वारा लड़ाकू विमानों की तैनाती की उपग्रह इमेजरी ऐसे समय में आई है जब भारत ने पूर्वी लद्दाख में तैनाती के लिए एक नया मिलिट्री डिवीजन बनाने की लंबे समय से लंबित मांग के कार्यान्वयन की घोषणा की है। 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो रहे हैं और चीन ने 10,000 भारतीय सेना के जवानों की फिर से तैनाती को क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल नहीं बताया है। उधर, भारत गर्मी के बीच चीनी आक्रामकता का सामना करने के लिए तेजी से कमर कस रहा है। अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान, भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को तिब्बत और पड़ोसी प्रांतों में चीनी सैन्य गतिविधियों पर विस्तृत और गुणवत्तापूर्ण तकनीकी-संकेत खुफिया जानकारी और उपग्रह फ़ीड प्रदान की गई।
भारतीय वायु सेना को तत्काल शक्ति बढ़ाने की जरूरत
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय वायु शक्ति को अपने दो पड़ोसियों की सामूहिक क्षमता से मेल खाने के लिए तत्काल एक शॉट की आवश्यकता है। 36 राफेल को शामिल करना भारतीय वायु सेना के पुराने बेड़े को आधुनिक बनाने और लड़ाकू स्क्वाड्रनों की घटती संख्या को रोकने की दिशा में पहला कदम था। तब से, LCA तेजस Mk1A की डिलीवरी में विलंब हुआ है और 114 मध्यम भूमिका वाले लड़ाकू विमानों या अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण पर कोई हलचल नहीं हुई है।
चीन का जे-10 कितना शक्तिशाली
भारत द्वारा फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों को शामिल करने के जवाब में पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू बेड़े में चीनी जे-10 विमान को शामिल किया। यह स्वदेशी AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) फायर-कंट्रोल रडार से लैस है। विमान सभी मौसम में संचालन करने में सक्षम है। इसकी प्राथमिक भूमिका हवा से हवा में मुकाबला करना है, लेकिन यह स्ट्राइक मिशन भी कर सकता है। J-10 C की तुलना अक्सर अमेरिकी F-16 फाइटिंग फाल्कन के उन्नत वेरिएंट से की जाती है। F-16 की तरह, J-10 में अत्यधिक फुर्तीला, वायुगतिकीय रूप से अस्थिर एयरफ्रेम है, जिसे इसके फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में एक कंप्यूटर द्वारा स्थिर किया जाता है। इसकी क्षमताओं में बियॉन्ड विजुअल रेंज की लड़ाई, हवा से जमीन पर सटीक हमला, डिजिटल ग्लास कॉकपिट उपकरण, उड़ान के दौरान ईंधन भरना और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध शामिल हैं।