September 20, 2024

जर्मनी की इकॉनमी के सुस्त पड़ना भारत के लिए अच्छी बात, तीसरी बड़ी इकॉनमी बनने में ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा

नई दिल्ली
 यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी जर्मनी के लिए अच्छी खबर नहीं है। दूसरी तिमाही में देश की इकॉनमी में अप्रत्याशित गिरावट देखने को मिली है। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में जर्मनी की जीडीपी में पहली तिमाही की तुलना में 0.1 फीसदी गिरावट देखने को मिली। इस दौरान जीडीपी के 0.1 फीसदी बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। पहली तिमाही में जर्मनी की इकॉनमी में मामूली तेजी देखने को मिली थी जिससे यह उम्मीद जगी थी कि यह पटरी पर लौट रही है। लेकिन दूसरी तिमाही के प्रदर्शन ने एक बार फिर देश में मंदी की आशंका को बल दे दिया है। तकनीकी रूप से लगातार दो तिमाहियों में गिरावट को मंदी कहा जाता है।

दिलचस्प बात है कि दूसरी तिमाही में यूरोजोन की जीडीपी में 0.3 फीसदी की तेजी आई है। इस दौरान जर्मनी के पड़ोसी देशों का प्रदर्शन अच्छा रहा। जानकारों का कहना है कि जर्मनी की इस स्थिति के लिए काफी हद तक चीन की इकॉनमी जिम्मेदार है। चीन की इकॉनमी कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। जर्मनी का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। लेकिन जर्मनी की अपनी भी कई समस्याएं हैं। देश को स्किल्ड लेबर की कमी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही देश में एनर्जी की कीमतें हाई लेवल पर पहुंच गई है।

भारत के लिए गुड न्यूज

हालांकि जर्मनी की इकॉनमी के सुस्त पड़ना भारत के लिए अच्छी बात है। जर्मनी अभी अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है जबकि जापान चौथे नंबर पर है। भारत पांचवें नंबर पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा था कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी बन जाएगा। लेकिन जर्मनी की हालत जिस तरह से खराब हो रही है, उससे लगता है कि भारत को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से विकास कर रहा है।

Forbes के मुताबिक अभी अमेरिका 28.783 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। चीन 18.536 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर है। जर्मनी (4.590 ट्रिलियन डॉलर) तीसरे और जापान (4.112 ट्रिलियन डॉलर) के साथ चौथे नंबर पर है। भारत की इकॉनमी का साइज अभी 3.942 ट्रिलियन डॉलर है। माना जा रहा है कि भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी बन जाएगा। लेकिन जिस तरह जापान और जर्मनी की इकॉनमी संघर्ष कर रही है, उससे लगता है कि जल्दी ही भारत को गुड न्यूज मिल सकती है।

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