October 20, 2025

गणेश उत्सव की तरह ही लाउडस्पीकर का तेज बजना ईद-मिलाद-उन-नबी के जुलूसों में भी गलत है : बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यदि गणेश उत्सव के दौरान एक लेवल से ज्यादा तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाना हानिकारक है तो फिर ईद में भी उसका वही असर होता है। अदालत ने कहा कि गणेश उत्सव की तरह ही लाउडस्पीकर का तेज बजना ईद-मिलाद-उन-नबी के जुलूसों में भी गलत है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने ईद-मिलाद-उन-नबी के जुलूसों के दौरान ‘डीजे’, ‘लेजर लाइट’ आदि के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

जनहित याचिकाओं में दावा किया गया है कि न तो कुरान और न ही हदीस (धार्मिक पुस्तकों) में डीजे सिस्टम और लेजर लाइट के उपयोग का जिक्र है। पीठ ने गणेश उत्सव से ठीक पहले, पिछले महीने पारित आदेश का हवाला दिया, जिसमें त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत उल्लेखित सीमा से अधिक शोर करने वाली ध्वनि प्रणालियों और लाउडस्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया गया था।

याचिकाकर्ताओं के वकील ओवैस पेचकर ने अदालत से अपने पहले के आदेश में ईद को भी जोड़ने की अपील की, जिस पर पीठ ने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आदेश में 'सार्वजनिक त्योहार' का उल्लेख किया गया है। अदालत ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा, ‘यदि यह गणेश चतुर्थी के मौके पर हानिकारक है तो ईद पर भी हानिकारक है।’ लेजर लाइट के इस्तेमाल पर पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे मनुष्यों पर ऐसी लाइटों के हानिकारक प्रभावों के बारे में वैज्ञानिक सबूत दिखाएं।

पीठ ने कहा कि ऐसी याचिकाएं दायर करने से पहले उचित शोध किया जाना चाहिए। जजों ने कहा, ‘आपने शोध क्यों नहीं किया? जब तक वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं हो जाता कि इससे मनुष्यों को नुकसान होता है, हम ऐसे मुद्दे पर कैसे निर्णय ले सकते हैं?’ बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को प्रभावी निर्देश देने के सिलसिले में अदालतों की मदद करनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा, 'यही समस्या है। जनहित याचिका दायर करने से पहले आपको बुनियादी शोध करना चाहिए। आपको प्रभावी निर्देश देने के सिलसिले में अदालत की सहायता करनी चाहिए। हम विशेषज्ञ नहीं हैं। हमें लेजर का 'एल' भी नहीं पता है।'