फ्लू के संक्रमण के बाद 1-7 दिनों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम लगभग छह गुना बढ़ जाता है
इन्फ्लूएंजा संक्रमण के दौरान सांस की नली में गंभीर इंफेक्शन हो जाते हैं. साथ ही साथ हाई फिवर भी आपको परेशान करती है. अब इस बीमारी को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट ने चेताया है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक इन्फ्लूएंजा संक्रमण और मायोकार्डियल इंफार्क्शन के कारण हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ता है. फ्लू के बाद कुछ दिनों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. हाल ही में एक रिसर्च किया गया था. इससे पता चला कि फ्लू के संक्रमण के बाद 1-7 दिनों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम लगभग छह गुना बढ़ जाता है.
सीजनल फ्लू के लक्षण समझकर न करें अनदेखा
अक्सर लोग इन्फ्लूएंजा संक्रमण के गंभीर लक्षणों को हल्के में लेकर उसे अनदेखा कर देते हैं. इस लोग सीजनल बीमारी समझकर इग्नोर कर देते हैं. लेकिन इन्फ्लूएंजा का प्रभाव अक्सर बीमारी से जुड़े सामान्य दर्द, पीड़ा और बुखार से कहीं आगे तक फैलता है. आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि यह सामान्य श्वसन संक्रमण आपके दिल के दौरे के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकता है.
इस कारण पड़ता है दिल का दौरा
इन्फ्लूएंजा संक्रमण से लड़ने के दौरान आपके शरीर में एक गंभीर सूजन ट्रिगर करता है. सूजन बढ़ने के कार आपकी नसों में मौजूदा प्लाक बिल्डअप को अस्थिर कर सकती है, जिससे इसके फटने और दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि वायरस आपके रक्त के थक्के बनाने वाले सिस्टम को भी एक्टिव कर सकता है, जिससे आपकी धमनियों में रक्त के थक्के बनने का जोखिम बढ़ जाता है. यदि कोई थक्का आपके हृदय में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करता है, तो इसका परिणाम मायोकार्डियल इंफार्क्शन (दिल का दौरा) होता है.
फ्लू के दौरान आपके शरीर में होने वाला बुखार, तेज़ दिल की धड़कन और कुल मिलाकर तनाव आपके दिल पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल सकता है. यह दिल के फंक्शन और उससे जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ा देता है. व्यक्तियों में दिल के दौरे को ट्रिगर कर सकता है. इन्फ्लूएंजा वायरस सीधे हृदय की मांसपेशियों को संक्रमित कर सकता है, जिससे सूजन हो सकती है और इसके कारण दिल के फंक्शन पर भी बुरा असर होता है.
सबसे ज़्यादा जोखिम किसको है?
इन्फ्लूएंजा संक्रमण के बाद किसी को भी दिल का दौरा पड़ सकता है.
वृद्ध वयस्क: जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी इम्युनिटी कमज़ोर होती जाती है और हमारा दिल तनाव के प्रति अधिक संवेदनशील होता है. इससे वृद्ध वयस्कों को फ्लू और दिल की समस्याओं दोनों से जटिलताओं का खतरा अधिक होता है.
पहले से मौजूद हृदय संबंधी स्थितियों वाले व्यक्ति: हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या अन्य हृदय संबंधी जोखिम वाले कारकों वाले लोगों को फ्लू के बाद दिल का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक होता है.
कमजोर इम्युनिटी वाले लोग: कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति, जैसे कि कैंसर का इलाज करा रहे लोग या एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोग, हृदय संबंधी समस्याओं सहित गंभीर इन्फ्लूएंजा जटिलताओं के जोखिम में अधिक होते हैं.