November 22, 2024

PM मोदी के पास वैश्विक राजनेता बनने का मौका, Russia Ukraine War को शांत कराने में सक्षम – फरीद जकारिया

नई दिल्ली
रूस-यूक्रेन युद्ध पर विदेश नीति के जानकार फरीद जकारिया ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यूक्रेन जंग भारत के लिए बड़ा मौका है। भारत को शांतिदूत बनकर अपनी कूटनीतिक ताकत दिखानी चाहिए। जकारिया ने पीएम मोदी की वैश्विक छवि की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।
'मोदी निभा सकते हैं बड़ी भूमिका'

एक न्यूज चैनल से बात करते हुए जकारिया ने कहा कि दुनिया में बहुत कम नेता ऐसे हैं जो रूस और यूक्रेन दोनों से प्रभावी ढंग से बात कर सकते हैं। उन्होंने सिर्फ दो नाम लिए, पहला तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन और दूसरा प्रधानमंत्री मोदी। जकारिया ने कहा कि यूक्रेन में जंग थमी हुई है। बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनके पास दोनों पक्षों से बात करने की विश्वसनीयता है… अगर प्रधानमंत्री मोदी खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश करते हैं, तो मुझे लगता है कि वह बहुत रचनात्मक भूमिका निभा सकते हैं… मेरा मानना है कि एर्दोगन से भी ज्यादा मोदी इसमें भूमिका निभा सकते हैं।

'वैश्विक राजनेता बनने का मौका'

जकारिया ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करना पीएम मोदी के लिए एक वैश्विक राजनेता बनने का शानदार मौका है। उन्होंने माना कि भारत पारंपरिक रूप से विदेश नीति के मामलों में तटस्थ रहता है। लेकिन, अगर भारत चाहे तो वह एक बहुत ही व्यावहारिक और रचनात्मक भूमिका निभा सकता है।

'भारत की छवि होगी मजबूत'

जकारिया के अनुसार, ऐसा कदम न केवल वैश्विक कूटनीति के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को भी ऊंचा उठाएगा। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके लिए पीएम मोदी को दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभानी होगी, जो अक्सर मुश्किलों और आलोचनाओं से भरी होती है। जकारिया ने कहा, 'अगर मोदी चाहें तो यह उनके लिए एक वैश्विक राजनेता बनने का शानदार मौका है।' उन्होंने शांति की तलाश में भारतीय नेता के कूटनीतिक कौशल और उनके मंच को महत्वपूर्ण बताया।

रूस और यूक्रेन दोनों में अच्छी साख

जकारिया के बयान से साफ है कि भारत के पास रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में अहम भूमिका निभाने की क्षमता है। पीएम मोदी की रूस और यूक्रेन दोनों से अच्छी साख है। ऐसे में, वह शांति वार्ता शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि भारत इस चुनौती को स्वीकार करता है या नहीं। अगर भारत मध्यस्थता करने का फैसला करता है, तो यह एक ऐतिहासिक कदम होगा। इससे ना सिर्फ युद्ध खत्म करने में मदद मिलेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि भी मजबूत होगी।