पेप्सिको, यूनिलीवर और डैनोन पैकेज्ड फूड कंपनियां भारत में ऐसे प्रोडक्ट बेच रही हैं जो कम हेल्दी हैं: एटीएमआई रिपोर्ट
नई दिल्ली
आपने पेप्सिको, यूनिलीवर, डैनोन आदि कंपनियों के नाम सुने होंगे। ये कंपनियां कई तरह के प्रोडक्ट भारत समेत दुनियाभर में बेचती हैं। अब इन कंपनियों पर आरोप लगा है कि ये भारत समेत कई देशों में खराब क्वालिटी के प्रोडक्ट बेच रही हैं। ये आरोप एक एनजीओ एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (ATNI) की नई इंडेक्स रिपोर्ट में लगाए गए हैं।
पेप्सिको (PepsiCo) भारत में पेप्सी, सेवनअप, स्लाइस, स्टिंग, Lays चिप्स, कुरकुरे आदि बेचती है। वहीं यूनिलीवर (Unilever) हॉर्लिक्स, रेड लेवल चाय, ताज महल चाय, क्लोजअप टूथपेस्ट, क्लिनिक प्लस शैंपू और ऑइल, डव साबुन आदि बेचती है। इसके अलावा डैनोन (Danone) बेबी फूड आइटम्स बेचती है जिसमें प्रोटिनेक्स भी शामिल है।
क्या है रिपोर्ट में?
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार एटीएमआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि पेप्सिको, यूनिलीवर और डैनोन जैसी विदेशी पैकेज्ड फूड कंपनियां भारत और अन्य कम आय वाले देशों में ऐसे प्रोडक्ट बेच रही हैं जो कम हेल्दी हैं। वहीं हाई इनकम वाले देशों में ये कंपनियां जो प्रोडक्ट बेच रही हैं, उनकी हेल्थ स्टार रेटिंग कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट में निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों की लिस्ट में भारत के साथ इथियोपिया, घाना, केन्या, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, तंजानिया और वियतनाम को शामिल किया गया है।
क्वालिटी के साथ ऐसे कर रहीं खिलवाड़
रिपोर्ट में प्रोडक्ट की क्वालिटी को उदाहरण से समझाया गया है। इसके अनुसार Lays चिप्स और ट्रॉपिकाना जूस बनाने वाली पेप्सिको ने न्यूट्री-स्कोर A/B को पूरा करने वाले प्रोडक्ट की बिक्री बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन यह केवल यूरोपीय संघ में इसके स्नैक्स पोर्टफोलियो पर लागू होता है।
वहीं यूनिलीवर के फूड प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में क्वालिटी वॉल्स और मैग्नम आइसक्रीम तथा नॉर सूप और रेडी-टू-कुक मिक्स शामिल हैं। डैनोन भारत में प्रोटीनेक्स सप्लीमेंट और एप्टामिल शिशु फॉर्मूला बेचता है।
किसे कितने अंक मिले?
अमेरिका की एटीएनआई इंडेक्स के अनुसार, हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम के अनुसार, प्रोडक्ट्स को 5 अंकों में से उनके हेल्थ स्कोर के आधार पर रैंक किया जाता है। इसमें 5 को सर्वश्रेष्ठ स्कोर माना जाता है। 3.5 से ऊपर के स्कोर को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। निम्न आय वाले देशों में फूड कंपनियों के पोर्टफोलियो का टेस्ट किया गया और उन्हें 1.8 अंक दिए गए। जबकि हाई इनकम वाले देशों में ऐसे प्रोडक्ट्स को औसतन 2.3 अंक दिए गए।