जब मौका था बोलने का, तब चुप क्यों था विपक्ष? SIR पर नहीं उठी आवाज़, रहस्यमयी चुप्पी

नई दिल्ली
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) और केंद्र पर आरोप लगाने वाला विपक्ष अब चुप है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत तैयार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में अब तक किसी पार्टी की तरफ से कोई दावा और आपत्ति नहीं आई है, जबकि आयोग ने 1 जुलाई को ही इसे ऑनलाइन पब्लिश कर दिया था. ऐसा लगता है कि एसआईआर पर संसद से लेकर सड़क तक हंगामा करने वाले विपक्ष ने अपने होंठ सिल लिए हैं.

अगर वास्तव में उन्हें एसआईआर से कोई परेशानी है, तो वह आयोग से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, लेकिन दो दिन गुजरने के बाद भी अब तक किसी भी विपक्षी पार्टी ने कोई आपत्ति नहीं दी है. 2 अगस्त को पहले दिन राजनीतिक दलों की तरफ से कोई दावा या ऑब्जेक्शन नहीं किया गया था. अगर कोई दावा और ऑब्जेक्शन आता है, तो उसकी सच्चाई की चुनाव आयोग (EROs/AEROsस्थानीय स्तर पर अधिकारी) जांच करेगा.

किसी राजनीतिक दल से कोई आपत्ति नहीं
ईसीआई ने बताया कि बिहार एसआईआर 2025 के तहत 1 अगस्त से 3 अगस्त दोपहर 3 बजे तक विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से किसी भी तरह की कोई आपत्तियां नहीं मिली हैं. निर्वाचन आयोग के अनुसार, पात्र मतदाताओं की सूची में शामिल करने और अयोग्य मतदाताओं को हटाने के लिए 941 दावे या आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, जिनका निपटारा अभी बाकी है. चुनाव आयोग ने बताया कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले नए मतदाताओं से 4,374 ‘फॉर्म-6 और घोषणाएं’ प्राप्त हुईं, जिनका निपटारा किया जाएगा.

ईसीआई के अनुसार, दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ/एईआरओ) द्वारा 7 दिनों के भीतर किया जाएगा.ईसीआई के मुताबिक, बिहार में आम आदमी पार्टी (आप) का 1 बीएलए है, बहुजन समाज पार्टी के 74, भारतीय जनता पार्टी के 53,338, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के 899, इंडियन नेशनल कांग्रेस के 17,549, और नेशनल पीपुल्स पार्टी के 7 बीएलए हैं। इन राजनीतिक दलों की तरफ से कोई आपत्तियां नहीं मिली हैं. इसके अलावा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (लिबरेशन) के 1,496, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के 1,913, जनता दल (यूनाइटेड) के 36,550, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के 1,210, राष्ट्रीय जनता दल के 47,506, और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के 270 बीएलए हैं, और उनकी तरफ से भी कोई आपत्ति नहीं मिली है।

1 अगस्त को मसौदा सूचियों के प्रकाशन के साथ ही ‘दावों और आपत्तियों’ की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, जो एक सितंबर तक जारी रहेगी और इस अवधि के दौरान मतदाता गलत तरीके से नाम हटाए जाने की शिकायत लेकर संबंधित प्राधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं. बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं.

एसआईआर के बाद बिहार में मतदाताओं की संख्या में 65 लाख की कमी
चुनावी राज्य बिहार में निर्वाचन आयोग की ओर से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत तैयार की गई मसौदा मतदाता सूची में 65 लाख से अधिक गणना प्रपत्र ‘शामिल नहीं’ किए गए हैं, जिससे पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई है. निर्वाचन आयोग के मुताबिक, पटना में सबसे ज्यादा 3.95 लाख गणना प्रपत्र को मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया है, जबकि मधुबनी में ऐसे गणना प्रपत्र की संख्या 3.52 लाख, पूर्वी चंपारण में 3.16 लाख और गोपालगंज में 3.10 लाख है.

आयोग के अनुसार, एसआईआर की कवायद शुरू होने से पहले बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या लगभग 7.9 करोड़ बताई गई थी. हालांकि, उसने बताया कि तब से 22.34 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, 36.28 लाख लोग या तो राज्य से स्थायी रूप से बाहर चले गए हैं या अपने बताए गए पते पर नहीं मिले हैं और 7.01 लाख लोग एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं.

SIR में सबसे ज़्यादा वोटरों के नाम कहाँ-कहाँ कटे

बिहार मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को पहला संशोधित वोटर लिस्ट ड्राफ्ट जारी कर दिया। राज्य के सभी 38 जिलों के लिए जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में सबसे ज्यादा वोटरों के नाम पटना जिले में कटे हैं, जबकि दूसरे नंबर पर मधुबनी और तीसरे नंबर पर पूर्वी चंपारण है।

कुल इतने वोटरों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं
चुनाव आयोग ने जिलेवार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की है। इस सूची में किस जिले में कितने वोटर थे, कितने वोटर बचे और कितने के नाम काटे गए, से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है। बिहार के कुल 78969844 मतदाताओं में से 6564075 वोटरों के नाम हटा दिए हैं। ड्राफ्ट लिस्ट में 72405756 वोटरों के नाम शामिल हैं। आप यहां क्लिक कर वोटर लिस्ट ड्राफ्ट में अपना नाम देख सकते हैं।

पटना में कटे सबसे ज्यादा वोटरों के नाम
अगर बिहार की राजधानी पटना की बात करें तो कुल 50,47,194 वोटर थे। एसआईआर के बाद वोटर लिस्ट ड्राफ्ट में 46,51,694 वोटरों के नाम हैं, जबकि 3,95,500 मतदाताओं के नाम काट दिए गए। मधुबनी में कुल वोटर 33,76,790 थे, जिनमें से 3,52,545 नाम हटाए दिए हैं। 30,24,245 मतदाता शेष बचे हैं। पूर्वी चंपारण में 36,89,848 वोटर में से 3,16,793 मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं और अब 33,73,055 वोटर शेष बचे हैं।

वोटर लिस्ट में थे 22.34 लाख मृतक
अगर मृतकों की बात करें तो वोटर लिस्ट से 22.34 लाख यानी 2.83 प्रतिशत वोटरों के नाम हटा दिए हैं। स्थायी रूप से स्थानांतरित या अनुपस्थित वोटरों की संख्या 36.28 लाख यानी 4.59 प्रतिशत और पहले से नामांकित वोटरों की संख्या 7.01 लाख यानी 0.89 प्रतिशत है, जिन्हें ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में जगह नहीं मिली। बिहार के 38 जिलाधिकारियों ने 243 विधानसभा क्षेत्रों के 90,817 मतदान केंद्रों के लिए तैयार मतदाता सूची का प्रारूप मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ शेयर कर दिया है।

जिनका नाम छूटा वो कर सकते हैं अप्लाई
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के अनुसार, बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और 243 निर्वाचक निबंधन अधिकारी (ईआरओ) उस विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदाता या बिहार के किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक किसी भी छूटे हुए पात्र मतदाता के नाम जोड़ने, किसी भी अपात्र मतदाता के नाम हटाने या मसौदा मतदाता सूची में किसी भी प्रविष्टि में सुधार के लिए दावे और आपत्तियां देने के लिए आमंत्रित करेंगे।