October 19, 2025

NATO को ट्रंप की धमकी: रूस से तेल पर रोक, चीन के खिलाफ कड़ा कदम तैयार

वॉशिंगटन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को NATO के सभी सदस्य देशों से आग्रह किया है कि वे रूस से तेल की खरीद बंद कर दें और चीन के उन आयातों पर 50-100% टैरिफ लागू करें जो रूस से ऊर्जा संबंधी लेन-देनों में शामिल हैं। उनका कहना है कि ये कदम रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने का एक जरूरी तरीका हैं।  ट्रंप ने ट्वीट और सार्वजनिक बयानों में कहा कि अगर NATO सदस्य रूसी तेल नहीं खरीदेंगे, तो उनकी रूस के साथ बातचीत और आर्थिक दबाव बढ़ेगा, जिससे युद्ध की गति धीमी हो सकेगी।   उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि युद्ध समाप्ति हो जाए तो ये टैरिफ हटा दिए जाएँ। ट्रंप ने कुछ NATO सदस्यों-विशेषकर टर्की, हंगरी और स्लोवाकिया की आलोचना की कि वे अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, जो गठबंधन की नैतिक और रणनीतिक एकता को कमजोर करता है।  
 
ट्रंप ने कहा कि चीन भी रूस के साथ करीबी आर्थिक संबंध बनाए रखकर रूस की युद्ध नीति को समर्थन दे रहा है। टैरिफ लगाने से इस आर्थिक संबंध को तोड़ा जा सकेगा।  भारत के बारे में भी ट्रंप ने पहले ही घोषणा कर दी है कि भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया है क्योंकि वह रूस से ऊर्जा आयात कर रहा है। अब उनका प्रस्ताव है कि यदि यूरोपीय देश भी साथ दें तो चीन और भारत के उन आयातों पर भारी टैरिफ लगाया जाए जो रूस की ऊर्जा अर्थव्यवस्था से जुड़े हों।
 
यूरोपीय मित्र देशों में इस तरह के टैरिफ लगाने को लेकर संयुक्त आर्थिक प्रभाव की चिंता है। यदि चीन और भारत पर बहुत अधिक टैरिफ लगे तो व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है। भारत और चीन ने अभी तक इस प्रस्ताव का औपचारिक जवाब नहीं दिया है लेकिन वे ऐसी नीतियों के संभावित आर्थिक प्रतिकूल प्रभावों से सतर्क हैं। इसके अलावा, NATO में ऐसे देशों को भी दबाव का सामना करना पड़ सकता है जिन पर रूस से ऊर्जा निर्भरता अधिक है, उदाहरण के लिए टर्की।  
 
ट्रंप की यह पेशकश सिर्फ आर्थिक नहीं है-यह रणनीतिक निशाना है रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को निर्देशित करने का। यदि NATO, G7, यूरोपीय संघ और भारत-चीन जैसे बड़े खिलाड़ी इस तरह की टैरिफ व्यवस्था में शामिल होते हैं, तो युद्ध-विरोधी दबाव काफी तेज हो सकता है। लेकिन इसके लिए एक साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति, आर्थिक स्थिरता और रणनीतिक संतुलन बनाए रखना ज़रूरी होगा।