भारत ने UNSC में फिर खोली पाकिस्तान की पोल, कश्मीर पर भी खूब लगाई लताड़
श्रीनगर
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान की खिंचाई की। भारत ने कहा कि पड़ोसी देश इस बात का ''जीता-जागता उदाहरण'' है कि कैसे कोई राष्ट्र नरसंहार और जातीय सफाये जैसे गंभीर अपराधों पर जवाबदेही से बचता रहता है। भारत ने कहा कि वह सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों का जवाब देने के लिए ठोस और निर्णायक कदम उठाना जारी रखेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर/कानूनी सलाहकार डॉ. काजल भट ने बृहस्पतिवार को सुरक्षा परिषद में कहा कि उन्हें पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा फैलाए गए कुछ झूठ और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार का जवाब देना पड़ रहा है, क्योंकि वह इस तरह की हरकत करने के आदी हैं। भट ने कहा, ''आज हम चर्चा कर रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही और न्याय को कैसे मजबूत किया जाए।'' उन्होंने कहा, ''50 साल पहले पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार के पाकिस्तान के शर्मनाक इतिहास के कारण बांग्लादेश अस्तित्व में आया, जिसे कभी स्वीकारा नहीं गया, न ही कभी माफी मांगी गई और न ही कोई जवाबदेही तय की गई।''
भट ने कहा कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद परिषद के अध्यक्ष अल्बानिया की अध्यक्षता में ''अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही और न्याय को मजबूत करने'' पर खुली बहस हुई। इससे पहले, दिन में परिषद की बहस में विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि जवाबदेही और न्याय को राजनीतिक लाभ से नहीं जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान के प्रतिनिधि सुरक्षा परिषद के सामने एक जीता-जागता उदाहरण पेश करते हैं कि कैसे एक देश नरसंहार और जातीय सफाये के गंभीर अपराधों को लेकर जवाबदेही से बचता रहता है। शायद इस पर विचार करने की बात कहना बहुत बड़ी मांग हो जाएगी, लेकिन वह कम से कम इतना तो कर सकते हैं कि इस परिषद की गरिमा न भंग करें।''
भट ने कहा कि ''ऑपरेशन सर्चलाइट'' के तहत ''पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए नरसंहार'' में बेकसूर महिलाओं, बच्चों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों को हथियार के रूप में देखा जाता था। उन्होंने कहा, ''तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की आबादी पर पाकिस्तान द्वारा चलाए गए आतंक के शासन में हजारों लोगों को बेरहमी से मार डाला गया, हजारों महिलाएं बलात्कार का शिकार हुईं।'' भट ने कहा कि पाकिस्तान केवल यही योगदान दे सकता है कि वह भारत और उसके लोगों के खिलाफ आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करे। उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के स्वरूप में तथाकथित परिवर्तनों की भी बात की। जनसांख्यिकीय परिवर्तन का एकमात्र प्रयास आतंकवादियों द्वारा किया जा रहा है, जिसका समर्थन उनके देश कर रहे हैं और जो जम्मू-कश्मीर में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उनके मुताबिक चलने से इनकार करने वालों को निशाना बना रहे हैं।''
भट ने कहा कि वह पाकिस्तानी प्रतिनिधि को आश्वस्त करना चाहती हैं कि भारत सीमा पार आतंकवाद का जवाब देने के लिए ''ठोस और निर्णायक कदम'' उठाना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ''अंत में, मुझे पाकिस्तान के एक और भ्रामक बयान में सुधार करने दें। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र-शासित प्रदेश हमेशा भारत के अभिन्न व अविभाज्य अंग थे तथा रहेंगे।'' भट ने कहा, ''इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। किसी भी देश की ओर से कोई भी बयानबाजी और दुष्प्रचार इस तथ्य को झुठला नहीं सकता है।''