November 22, 2024

भारत में हरित क्रांति के बाद बढ़ा गेहूं का 1000 फीसदी उत्पादन, दुनिया में दूसरे नंबर पर

नई दिल्ली
पिछले 6 दशकों में भारत के गेहूं के उत्पादन में लगभग 1,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 1960 की हरित क्रांति के बाद यह रिकॉर्ड उत्पादन है। भारत गेहूं उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। देश का कुल गेहूं उत्पादन 1960 के दशक की शुरुआत में 98.5 लाख टन से बढ़कर 2021-22 में 1,068.4 लाख टन हो गया है। केंद्र ने बुधवार को एक डेटा चार्ट के माध्यम से जानकारी सार्वजनिक की। भारत अब विश्व स्तर पर गेहूं के कुल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 2021-22 में ही भारत ने रिकॉर्ड 70 लाख टन खाद्यान्न का निर्यात किया है।

देश में खाद्यान्नों की कुल उपज की बात करें तो 1960 के दशक से भारत की प्रति हेक्टेयर उपज में तीन गुना वृद्धि हुई है। खाद्यान्न का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1960 के मध्य में 757 किलोग्राम से बढ़कर 2021 में 2.39 टन हो गया। केंद्र की तरफ से कहा गया है कि 'हरित क्रांति' ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया और कृषि उत्पादकता में वृद्धि की।

इस बीच, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से 17 अगस्त को जारी की गई जानकारी के मुताबिक, 2021-22 सीजन के दौरान भारत में कुल खाद्यान्न का उत्पादन रिकॉर्ड 315.72 मिलियन टन होने का अनुमान है। प्रमुख कृषि उत्पादन के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2020-21 के दौरान कटाई की तुलना में 4.98 मिलियन टन की वृद्धि है।

इन फसलों का बंपर उत्पादन
2021-22 में उत्पादन पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत उत्पादन की तुलना में 25 मिलियन टन अधिक होने का अनुमान है। फसलों में, चावल, मक्का, चना, दलहन, रेपसीड और सरसों, तिलहन और गन्ना के लिए रिकॉर्ड फसल की उम्मीद है। 2021-22 के दौरान गेहूं का उत्पादन 106.84 मिलियन टन होने का अनुमान है। यह पिछले पांच वर्षों के औसत गेहूं उत्पादन 103.88 मिलियन टन से 2.96 मिलियन टन अधिक है।

मॉनसून की धीमी रफ्तार का धान की खेती पर असर
उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख खरीफ फसल धान की खेती पिछले सीजन की तुलना में 8 प्रतिशत कम 343.7 लाख हेक्टेयर हुई है। किसानों ने इस खरीफ सीजन में कम धान की बुवाई की। खरीफ की फसलें ज्यादातर मॉनसून-जून और जुलाई के दौरान बोई जाती हैं और उपज अक्टूबर और नवंबर के दौरान काटी जाती है। बुवाई में गिरावट का प्रमुख कारण जून के महीने में मॉनसून की धीमी रफ्तार और देश के अधिकांश हिस्सों में जुलाई में इसका असमान प्रसार हो सकता है। इस बात की चिंता है कि अब तक इस खरीफ में धान की खेती के तहत कम क्षेत्र में खाद्यान्न का उत्पादन कम हो सकता है। हालांकि कुल मिलाकर खरीफ की बुआई अपेक्षाकृत बेहतर रही है।

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