September 21, 2024

DTC Bus Case: दिल्ली में बस खरीद की जांच पर बवाल, आप-भाजपा में तकरार; पाठक बोले- अपनी भी जांच करवाएं LG

नई दिल्ली

बस खरीद में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से सीबीआई जांच की सिफारिश को लेकर आम आदमी पार्टी ने पलटवार किया है। आप ने कहा कि जब कोई बस खरीदी ही नहीं गई। कोई भुगतान नहीं हुआ तो घोटाला कैसे हो गया। पार्टी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उपराज्यपाल पुराना मामला उठा रहे हैं। जब हम सबूतों के साथ उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हैं, तब वह जांच के लिए तैयार नहीं होते।

पार्टी कार्यालय में रविवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बस खरीद की निविदा प्रक्रिया की जांच हुई तो सरकार ने खरीद प्रक्रिया पर रोक लगा दी। दो साल से ज्यादा हो गए, हमने बस खरीद प्रक्रिया को रोका हुआ है। एक भी बस नहीं आई है। जब बस ही नहीं खरीदी गई तो घोटाला कहां हुआ। भारद्वाज ने कहा कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना रोज सुबह उठकर दिल्ली सरकार के खिलाफ मीडिया में दुष्प्रचार करते हैं। एलजी ने अब जो मामला उठाया है, उसमें सीबीआई डेढ़ साल पहले पीई दर्ज कर चुकी है। उसके बाद भी सीबीआई को कुछ नहीं मिला। अब तीसरी बार मामला सीबीआई के पास भेजा गया है।

डर के चलते लगाए जा रहे झूठे आरोप
आप विधायक आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार को अरविंद केजरीवाल से डर लग रहा है इसलिए रोज झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। देश में अब अरविंद केजरीवाल एक विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। एक सर्वे में 63 फीसदी लोगों ने माना कि 2024 में केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का विकल्प हैं। यही वजह है कि सीबीआई-ईडी से फर्जी केस निकालकर बदनाम करने के लिए कहा गया है। आतिशी ने कहा, केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर बौखलाहट में एलजी ने ऐसे मुद्दे पर जांच का आदेश दिया है।

एलजी अपनी भी जांच कराएं
आप विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा, खुद पर लगे आरोपों से ध्यान भटकाने के लिए दिल्ली सरकार पर रोज नया आरोप लगा रहे हैं। जिस बस खरीद की बात की जा रही है उसमें सीबीआई पहले ही जांच कर चुकी है उसे कुछ नहीं मिला है। उपराज्यपाल उसकी फिर से जांच कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर भी गंभीर आरोप है। हम तो जांच कराने के लिए तैयार है, वह अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों की भी जांच कराएं।

नियमों को ताक पर रख मनमर्जी से दिए टेंडर
भाजपा ने आप नेताओं पर नियमों को ताक पर रखकर बसों का टेंडर देने का आरोप लगाया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता और विधायक विजेंद्र गुप्ता ने रविवार को प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि आप ने सीवीसी रिपोर्ट को नजरअंदाज कर टेंडर बांटे। उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की। गौरव भाटिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी आज देश भर में अपनी पहचान एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में बना चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि लो फ्लोर बसों का टेंडर दिल्ली सरकार ने एल-1 कंपनी के बजाय अपने खास लोगों की जेबीएम कंपनी को दिया ताकि मोटी कमाई होने में कोई समस्या न हो।

बस खरीद मामले में मुख्य शिकायतकर्ता भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आप नेताओं की भ्रष्टाचार वाली नीयत इसी से समझी जा सकती है कि सरकार ने बस खरीदी, लेकिन उसके दो मालिक बनाए। एक दिल्ली सरकार और दूसरा जेबीएम कंपनी। साथ ही बस, सीएनजी, कंडक्टर सब कुछ सरकार का लेकिन जेबीएम को सरकार मेंटेनेंस के नाम पर 35,00 रुपये प्रतिदिन देगी। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव खुद मीटिंग में कहते रहे कि जेबीएम को हम ऑर्डर नहीं दे सकते क्योंकि इसमें पूरा घोटाला है, लेकिन दबाव बनाया गया और जब बात नहीं बनी तो उसे दबा दिया गया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने उपराज्यपाल द्वारा डीटीसी की एक हजार बसों की खरीद मामले को लेकर जांच की सिफारिश किए जाने का स्वागत किया है। बिधूड़ी ने कहा है कि यह मामला भाजपा विधायकों ने ही उठाया था।

पूर्व एलजी ने बनाई थी समिति
कोविड के दौरान ही दिल्ली में एक हजार लो फ्लोर बस की खरीद प्रक्रिया शुरू की थी। बस खरीद के लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया। बस खरीद के साथ उसके वार्षिक रखरखाव का भी टेंडर निकाला गया। सरकार ने एक हजार बस के लिए 890 करोड़ रूपये का ऑर्डर दिया, साथ ही एएमसी के लिए सालाना 350 करोड़ रुपये की बात तय हुई थी। इसे लेकर विजेंद्र गुप्ता ने एलजी के पास शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप था कि नई बस का तीन साल का वारंटी पीरियड होता है। मगर सरकार बस आने के पहले दिन से रख-रखाव के लिए पैसे दे रही है। इसे लेकर तत्कालीन एलजी अनिल बैजल ने जून 2021 में एक समिति का गठन करके जांच करवाई थी। बस की खरीद प्रक्रिया पर उस समय रोक लग गई। जांच के दौरान समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमें प्रक्रियात्मक खामियां मिली जिसके चलते टेंडर को रद्द करना पड़ा।